प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कदम ^१ संज्ञा पुं॰ [कदम्ब]

१. एक सदाबहार पेड़ । विशेष—इसके पत्ते महुए के से पर उससे छोटे और चमकीले होते हैं । उसमें बरेसात में गोल गोल लड्डू के से पीले फूल लगते हैं । पीले पीले किरनों के झड़ जाने पर गोल गोल हरे फल रह हैं जो पकने पर कुछ कुछ लाल हो जाते हैं । ये फल स्वाद में खटमीठे होते हैं और चटनी अचार बनाने के काम में आते हैं । इसकी लकड़ी की नाव तथा और बहुत सी चीजे बनती हैं । प्राचीन काल में इसके फलों से एक प्रकार की मदिरा बनती थी, जिसे कादंबरी कहते थे । श्रीकृष्ण को यह पेड़ बहुत प्रिय था । वैद्यक में कदम को शीतल, भारी, विरेचक, सूखा, तथा कफ और वायु को बढ़ानेवाला कहा है । पर्या॰—नीप । प्रियक । हरीप्रिय । पावृषेष्य । वृत्तपुष्प । सुरभि । ललना । प्रिया । कर्ण पूरक । महाढय । यौ॰—कदमखंडिका=कदम बाटिका । वह स्थान जहाँ कदम के वृक्ष अधिक हों । उ॰—(क) कहूँ कुटी कहुँ सघन कुटी कहुँ कदम खंडिका छाई । —भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ३०८ । (ख) सो सेवा सों पहोंचि गोविन्द स्वामी की कदम खंडी में जाते । —दो सौ बावन॰, भा॰,२, पृ॰ ६० ।

२. एक घास का नाम ।

कदम ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ कदम]

१. पैर । पाँव । पग । मुहा॰—कदम उखड़ना=भाग जागा । हट जाना । कदम उखडना= (१) तेज चलना । जैसे,—कदम उठाओ, दूर चलना है । (२) उन्नति करना । कदम उठाकर तेज चलना=तेज या शीघ्र चलना । कदम चूमना=अत्यंत आदर करना । जैसे,—अगर तुम यह काम कर दो तो तुम्हारे कदम चूम लूँ । उ॰—सब वजादार तेरे आके कदम चूमते हैं ।—श्यामा॰, पृ॰ १०२ । कदम छूना=(१) पैर पकड़ना । दंडवत करना । प्रणाम करना । (२) शपथ खाना । जैसे,—आप के कदम छू कर कहता हूँ, मेरा इससे कोई संबंध नहीं है । (३) विनती करना । खुशामद करना । जैसे,—वह बार कदम छूने लगा, तब मैने उसे छोड़ दिया । (३) बड़ा या गुरु मानना । गुरु बनाना । कदम डगमगाना या लड़खड़ाना=डावाँडोल होना । ढीला पड़ना । शिथिल होना । मगर यहाँ पर हमारा भई कदम डगमगाने लगा ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ९० । कदम पकड़ना या लेना=(१) पैर पकड़ना । प्रणाम करना । आदर से पैर लगना । (२) बड़ा या गुरु मानना । आदर करना । (३) बिनती करना । खुशामद करना । कदम बढ़ाना या कदम आगे बढ़ना=(१) तेज चलना । (२) उन्नति करना । कदम मारना=(१) दौड़ धूप करना । (२) यत्न या उपाय करना । कदम रखना=प्रवेश करना । दाखिल होना । पैर रखना ।

२. पदचिह्न । चरणचिह्न । मुहा॰—कदम ब कदम चलना=(१) साथ साथ चलना । (२) अनुकरम करना । कदम भरना=चलना । डग बढ़ाना ।

३. धूल वा कीचड़ में बना हुआ पैर का चिह्न ।

कदम बढ़ना । उ॰—क्यों नहीं बेडिगे भरें डग हम । पाँव क्यों जाय डगमगा मेरा ।—चुभते॰, पृ॰ १० । डग मारना = कदम रखना । लंबे पैर बढ़ाना । उ॰—मारि डगै जब फिरि चली सुंदर बेनि दुरै सब अंग । मनहुँ चंद के बदन सुधा को उड़ि उड़ि लगत भुअँग ।—सूर (शब्द॰) ।

२. चलने में जहाँ से पैर उठाया जाय और जहाँ रखा जाय उन दोनों स्थानों के बीच की दूरी । उतनी दूरी जितनी पर एक जगह से दूसरी जगह कदम पड़े । पैंड़ ।