प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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कछु पु † वि॰ [हिं॰ कुछ] दे॰ 'कुछ' । उ॰—(क) तदपि कहीं गुर बारहि बारा । समुझि परत कछु मति अनुसारा ।—मानस, १ ।३९ । (ख) ता समै परमेसुरी कछु कार्यार्थ वहाँ आई ।—दो सौ बावन॰, पृ॰ १ । मुहा॰—कछु और पु = कुछ दूसरा ही । उ॰—तब तौ सनेह कछु और हौ, अब तौ कछु औरे भई ।—पृ॰ रा॰, ७ ।६५ ।