प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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औसान ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अवसान]

१. अंत ।

२. परिणाम । उ॰— जेहि तन गोकुल नाथ भज्यो । ऊधो हरि बिछुरत ते बिरहिनि सो तनु तबहिं तज्यो ।....अब औसान घटत कहि कैसे मन उपजी परतीति—सूर (शब्द॰) ।

औसान ^२पु संज्ञा पुं॰ सुधबुध । होशहवास । चेत । धैर्य । प्रत्युत्पन्न- मति । उ॰—सुरसरि सुवन रन भूमि आए । बाण वर्षा लागे करन अति क्रोध ह्वै पार्थ औसान तब भुलाए ।—सूर (शब्द॰) । मुहा॰—औसान उड़ना, औसान खता होना, औसान जाता रहना, औसान भूलना = सुधबुध भूलना । बुद्धि का चकराना । धैर्य न रहना । मतिभ्रम होना । उ॰—पूँछ राखी चापि रिसनि- काली काँपि, देखि सब साँप औसान भूले । पूँछ लोनी झटकि, धरनि सों गहि पटकि फूँ कह्यो लटकि करि क्रोध फले ।— सूर (शब्द॰) ।