प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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औंजना ^१ पु † क्रि॰ अ॰ [सं॰ उद्वेजन = व्याकुल होना] ऊबना । व्याकुल होना । अकुलाना । उ॰—एक करै धौंज, एक कहै काढ़ौ सौंज, एक औंजि पानी पी कै कहै बनत न आपनो । एक परे गाढ़े, एक डाढ़त हीं काढ़े, एक देखत हैं ठाढ़े, कहैं पावक भयावनो ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १७५ ।

औंजना ^२ क्रि॰ स॰ [?] एक बरतन में से दूसरे बरतन में डालना । उँहेलना । उलटना ।