प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ओत ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अवधि पु॰ हिं॰ औध, औधि]

१. कष्ट की कमी । आराम । चैन । उ॰—(क) नाना उपचार करि हारे सुर सिद्ध मुनि, होत न बिसोक ओत पावै न मनाक सो ।—तुलसी ग्रं॰, पृ॰ १७७ । (ख) भली बस्तु नागा लगै काहू भाँति न ओत । त्रै उद्वेग सुवस्तु अरु देश काल तें होत ।—देव (शब्द॰) ।

२. आलस्य ।

३. किफायत । क्रि॰ प्र॰—पड़ना ।

ओत ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ अवाप्ति या हिं॰ आवत] प्राप्ति । लाभ । नफा । बचत । जैसे,—जहाँ चार पैसे की ओत होगी वहाँ जायँगे । यौ॰—ओत कसर = नफा नुकसान । जैसे—इनमें कौन सी ओत कसर है ।

ओत ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰] ताने का सूत ।

ओत ^४ वि॰ [सं॰] बुना हुआ । गुँथा हुआ । यौ॰—ओतप्रोत ।

ओत ^५ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ओट] दे॰ 'ओट' । उ॰—साहि तनै सरजा के भय सों भगाने भूप, मेरु मै लुकाने ते लहत जाय ओत हैं ।—भूषण ग्रं॰, पृ॰ १९ ।