प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ओटा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ओट]

१. परदे की दीवार । पतली दीवार जो केवल परदे के वास्ते बनती है । उ॰—(क) मन अरपण कौधै हरि मारग । चाहै प्रज ओटे चड़ी ।—बेलि॰, दू॰ १३९ । (ख) चाहै मुख अंगणि ओटे चढ़ि ।—बेलि॰, दू॰ १५५ ।

२. परकोटा । घेरा । बाँध । उ॰—तन सरवर जल बीर रस ओटा । बंधि सुरष्षि ।—पृ॰ रा॰, ५ ।९६ ।

३. आड़ । ओट । उ॰—देखत रूप ठगौरी सी लागत नैननि सैन निमेष की ओटा । —नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ ३४१ । †

४. ब्राह्मणी । बमनी । बनकुस ।

ओटा ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ओटना] कपास ओटनेवाला आदमी ।

ओटा ^३ संज्ञा पुं॰ [हि॰ उठना] जाँते के निकट पिसनहारियों के बैठने का चबूतरा ।

ओटा ^४ संज्ञा पुं॰ [ह॰ गोंठना] सोनारों का एक औजार जिससे वे बाजूबंद के दाँतों की खोरिया बनते हैं । इसे गोटा भी कहते है ।