ऐपरि पु † अव्य॰ [ सं॰ एतदुपरि] दे॰ 'ऐंपरि' । उ॰— ऐपरि कवि इक ठौर बतावैं । जब बलि में कछू गाथा गावैं ।—नंद॰ ग्रं॰, पृ॰ १३७ ।