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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

एकाग्र ^१ वि॰ [सं॰]

१. एक और स्थिर । चंचलता से रहित ।

२. अनन्यचित्त । जिसका ध्यान एक ओर लगा हो । यौ॰—एकाग्रचित्त । एकाग्रदृष्टि । एकाग्रभूमि । एकाग्रमन ।

एकाग्र ^२ संज्ञा पुं॰ .योग में चित्ता की पाँच वृत्तियों या अवस्थाओं में से एक जिसमें चित्ता निरंतर किसी एक ही विषय की ओर लगा रहता है । ऐसी अवस्था योगसाधना के लिये अनुकूल और उपयुक्त कही गई है । वि॰ 'चित्तभूमि' ।