प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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एकहत्था संज्ञा पुं॰ [हि॰ एक+ हाथ] किसी विषय़ बिशेषकर व्यापार या रोजगार को अपने हाथ में करना, दूसरे को न करने देना । कीसी व्यापर या बाजार पर अपना एकमात्र अधिका र जमाना । एकधिकार । जैसे—'रूई' के व्यापार को उन्होंने एकहत्था कर लिया' । क्रि॰ प्र॰—करना ।

एकहत्था संज्ञा स्त्री॰ [हि॰ एक+ हाथ] मालखंभ की एक कसरत । विशेष— इसमें एक हाथ उलटा कमर पर ले जाते है और दूसरे हाथ से पकड़ के ढंग से मालखंभ में लपेटकर उड़ते है । कभी कभी कमर पर के हाथ में तलवार और छुरा भी लिए रहते हैं । यौ॰—एकहत्थी छूट= मालखंभ की एक कसरत जिसमें किसी तरह की पकड़ करके मालखंभ पर एक ही हाथ की थाप देते हुए कूदते है । एकहत्थी निचली कमान=मालखंभ की कसरत के समान उतरने की वह विधि जिसमें खिलाड़ी एक ही हाथ से मालखंभ पकड़ता है । खिलाड़ी का मुँह नीचे की ओर झुकता है और छाती उठी रहती है । एकहत्थी पीठ की उड़ान=मालखंभ की एक एकरत जिसमें खिलाड़ी मालखंभ को एक बगल में दबाकर दूसरा हाथ पीछे की ओर से ले जाकर दोनों हाथ बाँधकर पीठ के बल उलटा उड़ता है और उलटी सवारी बाँधता है ।