प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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एकसत्तावाद संज्ञा पुं॰ [सं॰] दर्शन का एक सिद्धांत जिसमें सत्ता ही प्रधान वस्तु ठहराई गई है । विशेष—योरोप में इस मत का प्रधान प्रवर्तक पर्मेंड़ीज था । यह समस्त संसार को सत्स्वरूप मानता था । इसका कथन था कि सत् ही नित्य वस्तु है । यह एत अविभक्त और परिमाण- शून्य वस्तु है । इसका विभाजक असत् हो सकता है, पर असत् कोई वस्तु नहीं । ज्ञान सत् का होता है असत् का नहीं । अतः ज्ञान सत्स्वरूप है । सत् निर्विकल्प और अविकारी है अतः इंद्रियजन्य ज्ञान केवल भ्रम है; क्योंकि इंद्रिय से वस्तुएँ अनेक और विकारी देख पड़ती है । वास्ताविक पदार्थ एक सत् ही है पर मनुष्य अपने मन से असत् की कल्पना कर लेता है । य़ही सत् और असत् अर्थात् प्रकाश और तम सब संसार का कारण रूप है । यह मत शंकराचार्य के मत से बिल्कुल मिलता हुआ है । भेद केवल यही है कि शंकार ने सत् और असत् को ब्रह्म और माया कहा है ।