एकवाक्यता संज्ञा स्त्री॰ [सं॰] १. ऐकमत्य । परस्पर दो या अधिक लोगों के मत ता मिल जाना । २. मीमांसा में दो या अधि क आचार्यों, ग्रंथों या शास्त्रों के वाक्यों या उनके आशयों का परस्पर मिल जाना ।