एकमेक वि॰ [हिं॰] दो या इनसे अधिक के मिलकर एक होने का भाव । एकाकार या तद्रूप होना । उ॰—धरती अंबर जायँगे, बिनसैंगे कैलास । एकमेक होइ जायँगे, तब कहाँ रहैंगे दास ।—कबीर सा॰, भा॰ १, पृ॰ २१ ।