एकतोभोगी मित्र संज्ञा पुं॰ [सं॰] कौटिल्य मत से वह वश्य मित्र जो एक साथ एक ही को लाभ पहुँचा सके, अर्थात् अमित्र को नहीं । उभयतोभोगी का उलटा ।