प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ऋद्धि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. एक ओषधि या लता जिसका फंद दवा के काम में आता है । विशेष—यह कंद कपास की गाँठ के समान और बाँई ओर को कुछ घूमा रहता है तथा इसके ऊपर सफेद रोईं होती है । यह बलकारक, त्रिदोषनाशक, शुक्रजनक, मधुर, भारी तथा मूर्छा को दूर करनेवाला है । पर्या॰—प्राणप्रिया । वृष्या । प्राणदा । संपदाह्वया । सिद्धा । योग्या । चेतनीया । रथागी । मंगल्या । लोककांता । जीवश्रेष्ठा । यशस्या ।

२. समृद्धि । बढ़ती ।

३. आर्या छंद का एक भेद जिसमें २६ गुरु और ५ लघु होते हैं ।

४. गणेश की क दासी जो समृद्धि की देवी मानी जाती है (को॰) ।

५. पार्वती (को॰) ।

६. लक्ष्मी (को॰) ।

७. पत्नी (को॰) ।

८. सफलता । सिद्धि (को॰) ।