ऊलहना पु क्रि अ॰ [सं॰ उत्+लस्; प्रा॰ उल्लअ, उल्लर] १. विकासित होना । २. दे॰ 'उलसना' ॰ उ॰—दोष बसंत को दीजै कहा, उलही न करील की डारन पाती ।—पधाकर ग्रं॰, पृ॰ २३८ ।