प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उपाधि संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]

१. ओर वस्तु को और बतलाने का छल । कपट ।

२. वह जिसके संयोग से कोई वस्तु ओर की और अथवा किसी विशेष रूप में दिखाई दे । जैस,आकाश अपरिमित ओर निराकार पदार्थ है, पर घड़े ओर कोठरी के भीतर परिमित ओर जुदा रूपों में जान पड़ता है । विशेष—सांख्य़ में बुद्धि की उपाधि से ब्रह्म करता देख पड़ता है । वास्तव में है नहीं । इसी प्रकार वेदांन में माया के संबंध ओर असंबंध से ब्रह्म के दो भेद माने गए है—सोपाधि ब्रह्म । (जीव) और निरुपाधि ब्रह्म ।

३. उपद्रव । उत्पात ।

४. कर्मव्य का विचार । धर्मचिंता ।

५. प्रतिष्ठासूचक पद । खिताब ।