प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उपहार संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. भेंट । नजर । नजराना । उ॰—(क) धरि धरि सुंदर बेष चले हरषित हिए । चँवर चीर उपहार हार मणि गण लिए ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) आए गोप भेंट लै लै कै भूषण बसन सोहाए । नाना विधि उपहार दूध दधि अगे धरि सिर नाए ।—(शब्द॰) । (ग) दीह दीह दिग्गजन के केशव मनहु कुमार । दीन्हे राजा दशरथहि दिगपालन उपहार ।—केशव (शव्द॰) ।

२. शँवों की उपासना के नियम जो छह हैं—हसित, गीत, नृत्य हुड़ुक्कार, नमस्कार ओर जप ।