उद्वेग
संज्ञा
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
उद्वेग संज्ञा पुं॰ [वि॰ उद्विग्न]
१. चित्त की आकुलता । घबराहट ।
२. मनोवेग । चित्त की तीव्र वृत्ति । आवेश । जोश । जैसे,—मन के उद्वेंगों को दबाए रखना चाहिए ।
३. झोंक जौसे,—क्रोध के उद्वेग में उसने यह काम किया है ।
४. रस की दस दशाऔं में से एक । वियोग समय की वह व्याकुलता जिसमें चित्त एक जगह स्थिर नहीं रहता ।
५. विस्मय, आश्चर्य (को॰) ।
६. भय । डर । (को॰) ।
७. सुपारी । पुँगीफल (को॰) ।
उद्वेग वि॰
१. शांत ।
२. धैर्यवान् । धीर ।
३. दे॰ 'उद्वाहु' ।
४. शीघ्र जानेवाला ।
५. आरोहणकर्ता [को॰] ।