प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उत्त ^१पु संज्ञा पुं॰ [उत्] आश्चर्य । संदेह । उ॰—मेरे मन उत्त री तू कैसे उतरी है, मुंदरी तू कैसे करि उतरी समृंद री ।— हनुमान (शब्द॰) ।

उत्त ^२पु क्रि॰ वि॰ [हिं॰] दे॰ 'उत' । उ॰—कहा किया हम आइ कहा करैंगे जाइ, इत के भये न उत्त के चले मूल गँवाह ।— कबीर ग्रं॰, पृ॰ २३ ।

उत्त ^३पु अव्य॰ उधर ।