प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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उतारना ^१ क्रि॰ सं॰ [ सं॰ अवतारण, प्रा॰ उत्तांरण]

१. ऊँचे स्थान से निचे स्थान में लाना । उ॰—अहे, दहेड़ी जिनि घरै, जिनि तू लेहि उतारि, नीकें है छोकै छुबै ऐसैई रहि नारि ।—बिहारी र॰ दो॰ ३१९ ।

२. किसी वस्तु का प्रतिरूप कागज इत्यादि पर बनाना । (चित्र) खींचना । जैसे, यह मनुष्य बहुत अच्छी तसवीर उतारता है ।

३. लेख की प्रतिलिपि लेना । लिखावट कि नकल करना । जैसे, इस पुस्तक की एक प्रतिलिपि उतारकर अपने पास रख लो ।

४. लगी या लिपटि पस्तु का अलग करना । सफाई के साथ काटना । उचाड़ना । उघेड़ना । उ॰—(क) अस्वत्थामा निसि तहँ ओए, द्रोपदि सुत तहँ सोवत पाए । उनके सिर लै गयौ उतारि, कह्यौ पांड़वनि आयौ मारि । सूर॰, १ ।२८९ । (ख) सिर सरीज निज करन्हि उतारी, पूजेऊ अमित बार त्रिपुरारी ।—मानस ३ । २५ (ग) बकरे की खाल उतार लो । (घ) दूध पर ले मलाई उतार लो । (शब्द॰) ।

५. किसी धरण की हुई वस्तु को दूर करना । पहनी हुई चीज को अलग करना । जैसे, (क) कपड़े उतार ड़ालो । (ख) अंगूठी कहाँ उतारकर रखी ?

६. ठहरना । टिकाना । डेरा देना । जेसे, इन लोगें के धर्मशाले में उतार दो ।

७. आदर के निमित्त किसी बस्तु को शरीर के चारो ओर से घुमाना । जैसे, —आरती उतारना ।

८. उतारा करना । कीसी वस्तु को मनुष्य के चारो ओर घुमाकर भूत प्रेत, की भेट के रूप में चौराहे आदि पर रखना ।

९. न्योछावर करना । बारना । उ॰— वरिए गौन में सिधुर सिहिनी, शायद नीरज नैनन वारिए । वरिए मत्त महा बृष ओजाहि चंद्रघटा मुसुकान उतारिए ।—रघुराज (शब्द॰) ।

१०. चुकाना । अदा करना । जैसे, पहले अपने ऊपर से ऋण तो उतार लो । तब तीर्थयात्रा करना ।

११. वसूल करना । जैसे, (क) पुस्तकालय का सब चंदा उतार लाओ तब तनखाह मिलेगी । (ख) हम अपना सब लहना उतार लेंगे तब यहाँ से जाएँगे । (ग) उसने इधर से उधर की बातें करकी (१००) उतार लिए ।

१२. किसी उग्र प्रभाव का दूर करना जैसे,—नशा उतारना, विष उतरना ।

१३. निगलना । जैसे, इस दबा को पानी क े साथ उतार जाऔ ।

१४. जन्म देना । उत्पन्न करना । उ॰— दियो शाप भारी, बात सुनी न हमारी, घटि कुल में उतारी, देह सोई याको जानिए ।—प्रिया (शब्द॰) ।

१५. किसी ऐसी वस्तु का तैयार करना जो सूत या उसी प्रकार की और किसी अखंड़ सामग्री के बराबर बैठाते जाने से तैयार हो । सुई तागे आदि से बननेवाली चोजों का तैयार करना । जेसे, जुलाहे ने कल चार थान उतारे ।

१६. ऐसी वस्तु का तैयार करना जो खराद, साँचे या चाक आदि पर चढ़ाकर बनाई जाय । जैसे, चाक पर से बरतन उतारना, कालिब पर से टोपी उतरना । उ॰—(क) कुम्हार ने दिन भर में १०० हँड़ियाँ उतारीँ । (ख) केशेदास कृंदन के कोश ते प्रकाशमान चिंतामाणि ओपनी सोँ ओपि कँ उतारी सी । (शब्द॰) ।

१७. बाजे आदि की कसन की ढीला करनाष जैसे, सितार और ढोल कि उतारकर रख दो ।—केशव (शब्द॰) ।

१८. भभके से खींचकर तैयार करना । खौलते पानी में किसी वस्तु का सार उतारना । जैसे,(क) वह शराब उतारता है । (ख) हम कुसुम का रंग अच्छी तरह उतार लेते हैं ।

१६. शतरंज में प्यादे को बढ़ाकार कोई बड़ा मोहरा बनाना ।

२. स्त्री का संभोग करना । (अशिष्टों की भाषा) ।

२१. तौल में पूरा कर देना । जैसे, वह तौल में सेर का सवा सेर उतार देता है ।

२२. आग पर चढ़ाई जानेवाली वस्तु का पककर तैयार । करना । जैसे, पूरी उतारना । पाग उतारना । संयों॰ क्रि॰—ड़ालना ।—देना—लेना ।

उतारना ^२ क्रि॰ सं॰ [सं॰ उत्तारणा] पार ले जाना । नदी नाले के पार पहुँचाना । उ॰— बरु तीर मारहु लखनु पै जब लगि न पाय पखरिहौँ । तब लगि न तुलसीदास नाथ कृपालु पार उतारिहौँ ।—मानस, २ । १०० ।