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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

उचाना पु † क्रि॰ स॰ [हिं॰]

१. उठाना । 'उँचाना' । उ॰—मोहन मोहनी रस भरे । .....दरकि कंचुकि, तरकि माला, रही धरणी जाइ । सूर प्रभु करि निरखि करुणा तुरत लई उचाइ ।—सूर (शब्द॰) ।

२. ऊपर उठना । ऊँचा करना । उ॰—सुनि यह श्याम बिरह भरे । सखिन तब भुज गहि उचाए बावरे कत होत । सूर प्रभि तुम चतुर मोहन मिलो अपने गोत ।—सूर (शब्द॰) ।