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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

उघरारा ^१पु † संज्ञा पुं॰ [हिं॰ उघड़ना, उघरना] [स्त्री॰ उघरारी] खुला हुआ स्थान । उ॰ —(क) पावस वरषि रहे उघरारैं, सिसिर समय बसि नीर मझारैं । —पद्माकर (शब्द॰) । (ख) रंग गयो उखरि कुरंग भयो परे परे, डारे उघरारे मारे फूंक के उड़त है । काशी राम राम सों परशुराम ऐसो कहतो तोरते धनुष ऐसे ऐसे बलकत है । —हनुमन्नाटक (शब्द॰) ।

उघरारा पु † ^२ वि॰ खुला हुआ । खुला रहनेवाला ।