उकासना पु क्रि॰ स॰ [हिं॰ उकसाना] उभाड़ना । ऊपर को फेंकना । ऊपर को खींचना । उ॰—गैयाँ बिडरि चलीं जित तित को सखा जहाँ तहँ घेरैं । वृषभ श्रृंग सों धरनि उकासत बल मोहन तन हेरैं ।—सूर॰ (शब्द॰) ।