उंदर संज्ञा पुं॰ [सं॰ उन्दुर] दे॰ 'उंदुर' । उ॰—ज्यों उरगह मुष उंदर परै । यों सुदेह नाहर कहै । । भवतव्य बात मिट्टै नहीं । नाम एक जुगजुग रहै । ।—पृ॰ रा॰, ७ ।१५० ।