प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ईश्वरप्रणिधान संज्ञा पुं [सं॰] योगशास्त्र के अनुसार पाँच प्रकार के नियमों में से अंतिम एकाग्रध्यानात्मक । ईश्वर में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति रखना तथा अपने सब कर्मो के फलों को उसे अर्पित करना ।