ईति
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनईति संज्ञा स्त्री॰[सं॰]
१. खेति को हानी पहुँचानेवाला उपद्रव । ये छह प्रकार के हैं—(क) अतिवृष्टि ।(ख) अनावृष्टि । (ग) टिड्डी पड़ना । (घ) चूहे लगना । (च) पक्षियों की अधिकता । (छ) दूसरे राजा की चढा़ई । उ॰—दसरथ राज न ईति भय नहिं दुख दुरित दुकाल । प्रभुदित प्रजा प्रसन्न सब सब सुख सदा सुकाल ।-तुलसी ग्रं॰, पृ॰ ६८ ।
२. बाधा । उ॰—अब राधे नहिनै ब्रजनीति । सखि बिनु मिलै तो ना बनि ऐहै कठिन कुराज राज की ईति ।-सूर (शब्द॰) ।
३. पीडा़ । दु:ख । उ॰—बारुनी और की वायु बहै यह सीत की ईति है बीस बिसा मै । राति बडी़ जुग सी न सिराति रह्यौ हिम पूरि दिशा विदिशा मै । —गोकुल (शब्द॰) ।