प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ईक्षा संज्ञा स्त्री॰[सं॰]

१. दृष्टि । दर्शन ।

२. विवेचन ।

३. आत्मज्ञान [कों॰] । विशेष— इसमें परि, अप, सम्, उप, प्र, वि आदि लगाकर परीक्षा, समीक्षा, अपेक्षा, उपेक्षा, वीक्षा आदि शब्द बनाए जाते हैं ।