इन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
सम्पादनशब्दसागर
सम्पादनइन ^१ सर्व॰ [हिं॰] 'इस' का बहुवचन ।
इन ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. सूर्य ।
२. प्रभु । स्वामी ।
३. राजा । नरेश (को॰) ।
४. हस्त नाम का नक्षत्र [को॰] ।
इन ^३ वि॰
१. योग्य । शक्त । क्षम ।
२. बहादुर । ताकतवर । दृढ़ ।
३. गौरवपूर्ण [को॰] ।
इन दो स्थानों में से किसी स्थान से भ्रमण का आरंभ माना जा रही है । पर विषुवरेखा (सूर्य का मार्ग) के जिस स्थान पर सूर्य कै आने से दिनमान की वुद्बि होने लगाती है उस वासंतिक विषुवपद कहते हैं । इस स्थान से आरंभ करके सूर्यमार्ग को ३६० अंशों में विभक्त करते है । प्रथम ३० अंशों को मेष, द्बितीय को वृष इत्यादि मानकर राशिविभाग द्बारा जो लग्नस्फुट और ग्रहस्फुट गणना करते है उसे "सायन' गणना कहते है । पर गणना की एक दूसरी रीति भी है जो अधिक प्रचलित है । ज्योतिषगणना के आरंभकाल में मेषराशिस्थित अश्विनी नक्षत्र में आरंभ में दिन औकर रात्रिमान बराबर स्थिर हुआ था । पर नक्षत्रगण खसकता जाता है । अतः प्रतिवर्ष अश्विनी नक्षत्र विषुवरेखा से जहां खसका रहेगा बहीं से राशिचक्र का आरंभ ओर वर्ष का प्रथम दिन मानकर जो लग्नस्फुट गणना की जाती है उसे 'निरयण गणना' कहते है । भारतवर्ष में अधिकतर पंचाग निरयण गणना के अनुसार बनाए जाते हैं । ज्योतिषियों में 'सायन' और 'निरयण' ये दो पक्ष बहुत दिनों से चले आ रहे है । बहुत से विद्बानों का राय है कि साय़न मत ही ठीक है ।