प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आश्रय संज्ञा पु॰ [सं॰] [वि॰ आश्रयी, आश्रित]

१. आधार । सहारा । अवलंब । जैसे,—छत खभों के आश्रय पर है । यौ॰—आश्रयाश ।

२. आधार वस्तु । वह वस्तु जिसके सहारे पर कोई वस्तु हो ।

३. शरण । पनाह । ठिकाना । जैसे,—(क) वह चारो ओर मारा मारा फिरता है, उसे आश्रय नहीं मिलता । (ख) राजा ने उसको अपने यहाँ आश्रय दिया । क्रि॰ प्र॰—चाहना । —ढूँढ़ना । —देना । —पाना । —मिलना ।—लेना ।

४. जीवन निर्वाह का हेतु । भरोसा । सहारा । जैसे,—हमें तुम्हारा ही आश्रय है कि और किसी का ।

५. राजाओं के छह गुणों में से एक ।

६. घर । मकान ।

७. तरकस । भाथी तुणीर [को॰] ।

८. अभ्यास [को॰] ।

९. व्याकरण में उद्देश्य ।

१०. बौद्ध मत से मन और पंच ज्ञानंद्रिय (को॰) ।

११. सामीप्य । सनिकटता । संनिधि [को॰] ।