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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

आमाशय संज्ञा पुं॰ [सं॰] पेट के भितर की वह थैली जिसमें मोजन किए हए पदार्थ इकट्ठे होते और पक्ते है । विशेष—सुश्रुत में इसका स्थान नमि और छोती के बिव में लिखा है; पर वास्तव में इस थैली का चौड़ा हिस्सा छाती के नीचे बाई ओर होता है और क्रमश; पतला होता हुप्रा दहिनी ओर को धुमाव के साथ यकृत के नीचे तक जाता है । यह थैली झिल्ली और मांस की होती है । इसके ऊपर बहुत से छोटे छोटे बारीक गड़ढ़े १/ १०० इंच से २/२०० इंच तक के व्यास के होति है, जिनमें पाचन रस भरा रहता है । इस थैली में पहुँच कर भोजन बराबर इधर उधर लुढ़का करता बै जिससे उसके हर एक अंश में पाचन रस लगाता है । इसी पाचन रस और पित्त आदि की क्रिया से खाए हुए पदार्थ का रुपांतर होता है; जैसे पित्त में मिलकर दुध पेट में जाते ही दही की तरह जम जाता है ।