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प्रकाशितकोशों से अर्थ सम्पादन

शब्दसागर सम्पादन

आभोग संज्ञा [सं॰]

१. रुप की पूर्णता । रुप में कोई कसर न रहना । किसी वस्तु को लक्षित करनेवाली सब बातों की विद्यमानता । जैसे-यहाँ आभोग से बस्ती का पास होना जाना जाता है ।

२. किसी पद्य के बीच में कवि के नाम का उल्लेखा

३. वरुण का छत्र ।

४. सुख आदि का पूरा अनुभव ।