आना
क्रिया
अनुवाद
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
आना ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ आणक]
१. रूपए का १६ वाँ भाग ।
२. किसी वस्तु का १६ वाँ अंश । जैसे,— (क) प्लेग के कारण शहर में
आना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ आगमन, पुं॰, हिं॰ आगवन, आवना; जैसे द्बिगुण से दूना । अथवा सं॰ आयणा हिं॰ आवना]
१. वक्ता के स्थान की ओर चलना या उसपर प्राप्त होना । जिस स्थान पर कहनेवाला है, था या रहेगा उसकी ओर बराबर बढ़ना या वहाँ पहुँचना । जैसे, —(क) वे कानपुर से हमारे पास आ रहे हैं । (ख) जब हम बनारस में थे, तब आप हमारे पास आए थे । (ग) हमारे साथ साथ तुम भी आओ ।
२. जाकर वापस आना । जाकर लौटना । जैसे—तुम यहीं खड़े रहो, मै अभी आता हूँ ।
३. प्रारंभ होना । जैसे, —बरसात आते ही मेढ़क बोलने लगते है ।
४. फलना । फूलना । जैसे,—(क) इस साल आम खूब आए है । (ख) पानी देने से इस पेड़ में अच्छे फूल आवेंगे ।
५. किसी भाव का उत्पन्न होना । जैसे, -आनंद आना, क्रोध आना, दया आना, करुणा आना, लज्जा आना, शर्म आना । विशेष—इस अर्थ में 'मैं' के स्थान पर 'को' लगता है । जेसे, — उनको यह बात सुनते हो बडा़ क्रोध आया ।
६. आँच पर चढ़े हुए किसी भोज्य पदार्थ का पकना या सिद्ध होना । जैसे, —(क) चावल आ गए, अब अतार लो । (ख) देखो, चाशनी आ गई या नहीं ।
७. स्खलित होना । —जैसे— जो यह दवा खाता है, वह बड़ी देर से आता है । मुहा॰—आई=आई हुई मृत्यु । जैसे, —आई कही टलती है । (२) आई हुई विपत्ति । आए दिन=प्रतिदिन । रोज रोज । जैसे—यह आए दिन का झगड़ा अच्छा नहीं । आए गए होना= खो जाना । नष्ट होना । फजूल खर्च होना । जैसे, —वे, रुपए तो आए गए हो गए । आओ या आइए=जिस काम को हम करने जाते है, उसमें योग दो । जैसे, —आओ, चलें घूम आवें । (ख) आइए, देखें तो इस किताब में क्या लिखा है । आ जाना=पड़ जाना । स्थित होना । जेसे, — उनका पैर पहिए के नीचे आ गया । आता जात= आने जानेवाला । पथिक । बटोही । जैसे, —किसी आते जाते के हाथ रुपया भेज देना । आना जाना= (१) आवागमन । जैसे, —उनका बराबर आना जाना लगा रहता है । (२) सहवास करना । संभोग करना । जैसे, —कोई आता जाता न होता तो यह लड़का कहाँ से होता? आ धमकना= एकबारगी आ पहुँचना । अचानक आ पहुँचना । जैसे, —बागी इधर उधर भागने की फिक्र कर ही रहे थे कि सरकारी फौज आ धमकी । आ निकलना=एकाएक पहुँच जाना । अनायास आ जाना । जैसे, —(क) कभी कभी जब वे आ निकलते है, तब मुलाकात हो जाती है । (क) मालूम नहीं हम लोग कहाँ आ निकले । आ पड़ना=(१) सहसा गिरना । एकबारगी गिरना । जैसे, —धरन एकदम नीचे आ पड़ी । (२) आक्रमण करना जैसे, —उसपर एक साथ ही बीस आदमी आ पड़े । (३) अनिष्ट घटना का घटित होना । जैसे, —बेचारे पर बैठे बिठाए यह आफत आ पड़ी । (४) संकट ,कठिनाई या दुःख का उपस्थित होना । जैसे, —(क) तुमपर क्या आ पड़ी है जो उनके पीछे दौड़ते फिरो । (ख) जब आ पड़ती है तब कुछ नही सूझता । (५) उपस्थित होना । एकबारगी आना । जैसे, —(क) जब काम आ पड़ता है, तब वह खिसक जाता है । (ख) उनपर गृहस्थी का सारा बोझ आ पड़ा । (शब्द॰) । (ग) कल हमारे यहा दस मेहमान आ पड़े । (शब्द॰) । (६) ड़ेरा जमाना । टिकना । विश्राम करना । जैसे, —कयों इधर उधर भटकते हो, चार दिन यहीं आ पड़ो । आया गया= अतिथि । अभ्यागत । जैसे —आए गए का अच्छी तरह सत्कार करना चाहिए । आ रहना= गिर पड़ना । जैसे, —(क) पानी बरसते ही दीवार आ रही । (ख) यह चबूतरे पर से नीचे आ रहा । आ लगना=(१) किसी ठिकाने पर पहुँचना । जैसे, —(क) बात की बात में किश्ती किनारे आ लगी । (ख) रेलगाड़ी प्लेटफार्म पर आ लगी । (इस क्रियापद का प्रयोग ज़ड़ पदार्थों के लिये होता है, चेतन के लिये नहीं । (२) आरंभ होना । जैसे, —अगहन का महीना आ लगा है । (३) पीछे लगना । साथ होना । जैसे, —बाजार में जाते ही दलाल आ लगते है । आ लेना= पास पहुँच जाना । पकड़ लेना । जैसे, —ड़ाकू भागे पर सवारों ने आ लिया । (२) आक्रमण करना । टूट पड़ना । जैसे, —हिरन चुपचाप पानी पी रहा था कि बाघ ने आ लिया । किसी का किसी पर कुछ रुपया आना=किसी के जिम्मे किसी का कुछ रुपया निकलना । जैसे, —क्या तुम पर उनका कुछ आता है ? हाँ बीस रुपये । किसी की आ बनना= किसी को लाभ उठाने का अच्छा अवसर हाथ आना । स्वार्थसाधन का मौका मिलना । जैसे, - कोई देखने भालने वाला है नहीं, नोकरों की खूब आ बनी है । किसी को कुछ आना=किसी को कुछ बोध होना । किसी को कुछ ज्ञान होना । जैसे, —(क) उसे तो बोलना हि नहीं आता । (ख) उसे चार महीने में हिंदी आ जायगी । किसी को कुछ आना जाना= किसी को कुछ वोध या ज्ञान होना । जैसे, —उनको कुछ आता जाता नहीं । किसी पर आ बनना= किसी पर विपत्ति पड़ना । जैसे, —(क) आजकल तो हमपर चारों ओर से आ बनी है । (ख) मेरी जान पर आ बनी है । उ॰— आन बनी सिर आपने छोड़ पराई आस (शब्द॰) । (किसी वस्तु) में आना=(१) ऊपर से ठीक बैठना । ऊपर से जमकर बैठना । चपकना । ढीला या तंग न होना । जैसे, — (क) देखो तो तुम्हारे पैर में यह जूता आता है । (ख) यह सामी इस छड़ी में नहीं आवेगी । (२) भीतर अटना । समाना । जैसे, —इस बरतन में दस सेर घी आता है । (३) अंतर्गत होना । अंतर्भूत होना । जैसे, —ये सब विषय विज्ञान ही में आ गए । किसी वस्तु से (धन या आय) आना= किसी वस्तु से आमदनी होना । जैसे,—(क) इस गाँव से तुम्हें कितना रुपया आता है? (ख) इस घर से कितना किरया आता है? (जहाँ पर आय के किसी विशेष भेद का प्रयोग होता है, जेसे,—भाड़ा, किराया, लगान, मालगुजारी आदि वहाँ चाहे 'का' का व्यवहार करै चाहे 'से' का । जैसे, —(क) इस घर का किताना किराया आता है । (ख) इस घर से कितना किराया आता है । (पर जहाँ 'रुपया' या 'धन' आदि शब्दों का प्रयोग होता है, वहाँ केवल 'से' आता है ।) कोई काम करने पर आना= कोई काम करने के लिये उद्यत होना । कोई काम करने के लिये उतारू होना । जैसे,—जब वह पढ़ने पर आता है तो रात दिन कुछ नहीं समझता । जूतों या लात घूसों आदि से आना=जूतों या लात घूसों से आक्रमण करना । जूते या लात घूँसे लगाना । जैसे, -अब तक तो मै चुप रहा अब जूतों से आऊँगा । (पौधे का) आना= (पौधे का) बढ़ना । जैसे,—खेत में गेहूँ कमर बराबर आए हैं । (मूल्य) को या में आना=दांमों में मिलना । मूल्य पर मिलना । मोल मिलना । जैसे,—यह किताब कितने को आती है । (ख) यह किताब कितने में आती है । (ग) यह किताब चार रुपए को आती है । (घ) यह किताब चार रुपए में आती है । (इस) मुहाविरे तृतीया के स्थान पर 'की' या 'में' का प्रयोग होता है । ) विशेष—'आना' क्रिया के अपूर्णभूत रूप के साथ अधिकरण में भी 'को' विभाक्ति लगती है; जैसे,—'वह घर की आ रहा था' । इस क्रिया को आगी पीछे लगा कर संयुक्त क्रियाएँ भी बनती है । नियमानुसार प्राय संयुक्त क्रियाओं में अर्थ के विचार से पद प्रधान रहता है और गोण क्रिया के अर्थ की हानि हो जाती है; जैसे, दे ड़ालना, गिर पड़ना आदि । पर 'आना' और 'जाना' क्रियाएँ पीछे लगकर अपना अर्थ बनाए रखती है; जैसे,— 'इस चोज को उन्हे देते आओ ।' इस उदाहरण में देकर फिर आने का भाव बना हुआ है । यहाँ तक कि जहाँ दोनों क्रियाएँ गत्यर्थक होती है वहाँ 'आना' का व्यापार प्रधान दिखाई देता है; जैसे,—चले आओ । बढ़े आओ । कहीं कहिं आना का संयोग किसी और क्रिया का चिर काल से निरंतर संपादन सूचित करने के लिये होता है; जैसे,—(क) इस कार्य को हम महीनों से करते आ रहे हैं । (ख) हम आज तक आप- के कहे अनुसार काम करते आए हैं । गतिसूचक क्रियाओं में 'आना' क्रिया धातुरूप में पहले लगती है और दूसरी क्रिया के अर्थ में विशेषता करती है; जैसे, —आ खपना, आ गिरना, आ घेरना, आ झपटना, आ टूटना, आ ठहरना, आ धमकना, आ निकलना, आ पड़ना, आ पहुँचना, आ फँसना, आ रहना । पर 'आ जाना' क्रिया में 'जाना' क्रिया का अर्थ कुछ भी नहीं है । इससे संदेह होता है की कदाचित् यह 'आ' उपसर्ग' न हो; जैसे,—आयान, आगमन, आनयन, आपतन ।