प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आगा ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अग्र, प्रा॰ अग्ग]

१. किसी चीज के आगे का भाग । अनाड़ी ।

२. शरीर का अगला भाग । जैसे,—ऊँचे आगे का हाथी अच्छा होता है ।

३. छाती । वक्षःस्थल ।

४. मुख । मुँह । मुहरा ।

५. ललाट । माथा ।

६. लिंगेंद्रिय ।

७. अँगरखे कुरते आदि की में आगे का टुकड़ा ।

८. पगड़ी का छज्जा ।

९. घर के सामने का भाग । मुहरा । १० सेना या फौज का अगला भाग । सेनामुख । हरावल ।

११. नाव का अगला भाग । माँग । गलही ।

१२. घर के सामने का मैदान । घर के आगे का सहन ।

१३. पेशखीमा । आगड़ा ।

१४. पहि- नावे का वह भाग जो आगे रहता है । पल्ला । आंचल ।

१५. आगे आनेवाला समय । भविष्य । परिणाम । जैसे,—(क) उसका आगा मारा गया है । (ख) उसका आगा अँधेरा है । मुहा॰—आगा काटना=यात्रा या कार्य में विघ्न डलना । आगा तागा लेना = आवभगत करना आदर सत्कार करना । आगा भारी होना = (१) गर्भ रहना । पैर भारी होना । जैसे,— व्याह होते ही उसका आगा भारी हो गया । (२) कहारों की बोली में राह में ठोकर गड़ढे आदि का होना जिससे गिरने का भय हो । आगा मारना = किसी के कार्य में बाधा डालना । किसी की उन्नति में रुकावट डालना । जैसे,—किसी का आगा मारना अच्छा नहीं । आगा मारा जाना=भावी उन्नति में विघ्न पड़ना । आगम मारा जाना । जैसे,—परीक्षा में फेल होने से उसका आगा मारा गया । आगा रुकना=भावी उन्नति में बाधा पड़ना । आगा रोकना = (१) आक्रमण रोकना । (२) कोई बड़ा कार्य आ पड़ने पर उसे सँभालना । मुँहड़ा सँभालना । जैसे,—इतनी बड़ी बारात अवेनी; उसका आगा रोकना भी तो कोई सहज बात नहीं है । (num>३) किसी के सामने इस तरह खड़े होना कि ओट हो जाय । आड़ करना । जैसे,—आगा मत रोको, जरा किनारे खड़े हो । (४) किसी की उन्नति में बाधा डालना । आगा लेना = शत्रु के आक्रमण को रोकना । भिड़ना । आगा सँभा- लना = (१) मुहड़ा सँभालना । कोई बड़ा कार्य आ पड़ने पर उसका प्रबंध करना । (२) किसी खुले गुप्त अंग को ढकना । (३) वार रोकना । भिड़ना । जैसे,—राजपूताने की लड़ाइयों मे पहले भील ही लोग आगा सँभालते थे ।

आगा ^२ संज्ञा पुं॰ [तु॰ आगा]

१. मालिक । सरदार ।

२. काबुली । अफगान ।

३. ज्येष्ठ भाई [को॰] ।