प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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आक्रोश संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि॰ आक्रुष्ट, आक्रोशित]

१. कोसना । शाप देना । गाली देना ।

२. धर्मशास्त्रानुसार कुछ दोष लगाते हुए जाति कुल आदि का नाम लेकर किसी को कोसना । विशेष—वह नारद के मत से तीन प्रकार का है-निष्ठुर, अश्लील और तीव्र । तू मूर्ख है, तुझे धिक्कार है, इत्यादि कहना निष्ठुर है । माँ बहिन आदि की गाली देना अश्लील और महापातकादि दोषों का आरोप करना तीव्र है ।

३. शपथ [को॰] । यौ॰—आक्रोशपरिषह = जैनशास्त्रानुसार किसी के अनिष्ट वचन को सुनकर कोप न करना ।