प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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अहं ^१ सर्व॰ [सं॰ अहम्] मैं ।

अहं ^२ संज्ञा पुं॰

१. अहंकार । अभिमान । उ॰— (क) तुलसी सुखद शांति को सागर । संतन गायो कौन उजागर । तामें तन मन रहै समोई । अंह अगिनि नहिं दाहै कोई ।— तुलसी (शब्द॰) । (ख) ज्यों महाराज या जलधि तै पार कियौ भव जलधि पार त्यौं करौ स्वामी । अंह ममता हंमैं सदा लागी रहै मोह मद क्रोध जुत मंद कामी ।— सूरा॰, (शब्द॰) ।

२. संगीत का एक भेद जिसमें सब शुद्ध स्वरों तथा कोमल गंधार का व्यव— हार होता है ।