प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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अष्टक संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. आठ वस्तुऔ का संग्रह, जैसे-हिंग्वष्टक ।

२. वह स्तोत्र या काव्य जिसमें आठ श्लोक हों, जैसे-रुद्राष्टक, गंगाष्टक ।

३. वह ग्रंथावयव जिसमें आठ अध्याय आदि हों ।

४. मनु के अनुसार एकगण जिसमें पैशुन्य, साहस, द्रोह, इर्ष्या, असुया, अर्थदूषण, वाग्दड और पारुष्य ये आठ अवगुण है ।

५. पाणिनिकृत व्याकरण । अष्टाध्यायी ।

६. आठ ऋषियों का एक गण ।