प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अव्यवस्थित वि॰ [सं॰]

१. शास्त्रादि-मर्यादा-रहित । बेमर्याद । उ॰— 'गुप्तकुल का अव्यवस्थित उत्ताराधिकार नियम' ।— स्कंद॰, पृ॰ १२ ।

२. अनियत रूप । बेठिकाने का । उ॰—'सम्राट् की मति एक सी नहीं रहती, वे अव्यवस्थित और चंचल हैं ।— स्कंद॰, पृ॰ २८ ।

३. चंचल । अस्थिर । उ॰—मै इन बातों को नहीं सुनना चाहती, क्योंकि समय ने मुझे अव्यवस्थित बना दिया है ।-चंद्र॰, पृ॰ १३३ । यौ॰.—अव्यवस्थितचित्त=जिसका चित्त ठिकाने न हो । चंचल- चित्त । उ-वह अव्यवस्थितचित्त का मनुष्य है ।-(शब्द॰) ।