मौका, योग, घटना ।

प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अवसर संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. समय । काल । उ॰—एहि अवसर चाहिअ परम सोभा रुप । बिसाल । मानस, १ ।१३१ । अवकाश फुरसत ।

३. इत्तिफाक । क्रि॰ प्र॰—आना ।—पड़ना ।—पाना ।—बीतना ।—मिलना । मुहा॰—अवसर चूकना = मौका हाथ से जाने देना । उ॰— अवसर चूकी ड़ोमिनी गावँ ताल वेताल ।—(कहा॰) । अवसर ताकना=उपयुक्त समय की प्रतीक्षा करना । मौका ढूँढ़ना । अवसर मारा जाना = मौका हाथ से निकल जाना । समय बीत जाना । उ॰—संसारी समय विचारिया क्या गिरही क्या योग । औसर मारा जाता है चेतु बिराने लोग ।—कवीर (शब्द॰) ।

४. एक काव्यालंकार जिसमें किसी घटना का ठीक अपेक्षित समय पर घटित होना वर्णन किया जाय; जैसे—प्रान जो तजैगी बिरहाग में मयंकमुखी, प्रानघाती पापी कौन फूली ये जुही जुही । जौ लौं परदेशी मन भावन विचार कीन्हों तौ लौं तूही प्रकट पुकारी है तुही तुही ।—चितामणि (शब्द॰) ।

५. भूमिका । परिचय़ (को॰) ।

६. साल । वर्ष (को॰) ।

७. वर्षा (को॰) ।

८. एकांत परामर्श [को॰] । यौ॰—अवसरग्रहण = अवकाशग्रहण । अवसरप्राप्त=अवकाशप्राप्त ।