प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अबीर संज्ञा पुं॰ [अ॰ अबीर ]

१. एक रंगीन बुकनी जिसे लोग होली के दिनों में अपने इष्ट मित्रों पर ड़ालते हैं । यह प्राय:लाल रंग की होती हैं और सिंघाड़े के आटे में हलदी, और चुना मिला कर बनती हैं । अब अरारोट और अंगरेजी बुकनियों से अधिक तैयार की जाती है । गुलाल । उ॰—अगर धूप बहु जनु अँधि- यारी उड़ै अबीर मनहुँ अरुनारी । —मानस ।

२. अभ्रक का चूर्ण जिसे होली में लोग अपने इष्ट मित्रों के मुख पर मलते हैं, कहीं कहीं इसे भी अबीर कहते हैं । बुक्का ।

३. श्वेत रंग की सुगंध मिली बुकनी जो वल्लभ कुल के मंदिरों में होली में उड़ाई जाती है ।

अबीर बनाने में भी यह आटा काम में आता है । वैद्यक में सिंघाड़ा शीतल, भारी कसैला वीर्यवर्द्घक, मलरोधक, वातकारक तथा रुधिरविकार और त्रिदोष को दूर करनेवाला कहा गया है । पर्या॰—जलफल । वारिकंटक । त्रिकोणफल ।

२. सिंघाड़े के आकार की निकोनी सिलाई या बेल बूटा ।

३. सोनारों का एक औजार जिससे वे सोने की माला बनाते हैं ।

४. एक प्रकार की मुनिया चिड़िया ।

५. समोसा नाम का नमकीन पकवान जो सिंघाड़े के आकार का तिकोना होता है ।

६. सिंघाड़े के आकार की मिठाई । मीठा समोसा ।

७. एक प्रकार की आतिशबाजी ।

८. रहट की लाट में ठोकी हुईं लकड़ी जो लाट को पीछे की ओर घूमने से रोकती है ।