अबरू संज्ञा पुं॰ [फा॰] भौंह । भ्रू । उ॰—आगे बढ़ी चढ़े थे अबरू खमदार ।—कुकुर॰, पृ॰ ३९ । मु॰.—अबरू में बल पड़ना=नाराज होना । अबरू पर मैल न आना=विकार न आना ।