अफरना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अफरना क्रि॰ अ॰ [सं आ+स्फर=प्रचुर]
१. पेट भरकर खाना । भोजन से तृप्त होना । अथाना । उ॰ —प्रगट मिले बिनु भावेतं कैसे नैन अघात । भूखे अफरत कहुँ नी, सुरति मिठाई खात ।— रसनिधि (शब्द॰) ।
२. पेट का फुलना । उ॰ (क) लेइ विचार लागा रहे दादू जरता जाय । कबहुँ पेट न अफरई भावइ तेता खाय ।—दादू (शब्द॰) । (ख) अफरी बीबी दै मारी (रोटी) ।
३. ऊबना । उ॰ —हम उनकी यह लीला देखते देखते अफर गए (शब्द॰) ।