अपांग
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अपांग ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अपाग्ड] आँख का कोना । आँख की कोर । कटाक्ष । उ॰—(क) नेत्रों को अपांग से श्रृगारित किया ।—वै॰ न॰, पृ॰ ४४२ । (ख) और फिर अरूण अपांगों से देखा कुछ हँस पडी ।— झरना, पृ २५ । .— अपांग दर्शन=तिरछी चितवन । अपांग दृष्टि=कनखियों से देखना । अपांगधारा=कटाक्षगति । कटाक्षप्रवाह । उ॰— (क) किंतु हलाहल भरी उसकी अपांगधारा .॰॰आज भी न जाने क्यों बुलने में असमर्थ हुँ ।— इंन्द्र॰, पृ॰ ४१ । कामदेव (१) संप्रदायसूचक तिलक । (२) अत । समाप्ति । (३) अपामार्ग ।
अपांग ^२ वि॰ अंगहीन । अंगभंग । पंगु ।