अपसार
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अपसार ^१ संज्ञा पु॰ [सं॰ अप=जल+सार]
१. अंबुकण । पानी का छींटा । उ॰—लेत अवनि रवि अंसु कहँ, द्त अभिय अपसार । तुलसी सूछम को सदा रवि रजनीस अधार ।— स॰ सप्तक, पृ॰३६ ।
२. पानी की भाप ।
अपसार ^२ संज्ञा पु॰ [सं॰] दे॰ 'अपसरण'[को॰] ।