प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अनुबंध संज्ञा पुं॰ [सं अनुबन्ध]

१. बंधन । लगाव ।

२. अविच्छिन्न क्रम । आगापीछा । सिलसिला । जैसे—किसी कार्य को करने पहले उसका आगापीछा सोच लेना चाहिए (शब्द॰) ।

३. वंशज । अनुवंश (को॰) ।

४. होनेवाला शुभ या अशुभ परिणाम । फल ।

५. उद्देश्य । इरादा । कारण (को॰) ।

६. गौण वस्तु । पूरक । अप्रधान वस्तु (को॰) ।

७. बात पित और कफ में से जो अप्रधान हो ।

८. वादविवाद या विषयवस्तु को जोड़नेवाली कड़ी । वेदांत का एक अनिवार्य तत्व या अधिकरण ।

९. अपराध । त्रुटि (को॰) ।

१०. पारिवारिक बाध, भार या स्नेह (को॰) ।

११. पिता या गुरु के पथ का अनुसरण करनेवाला बालक (को॰) ।

१२. आरंभ । श्रीगणेश ।

१३. मार्ग । उपाय (को॰) ।

१४. तुच्छ या नगण्य वस्तु (को॰) ।

१५. मुख्य रोग के साथ उत्पन्न अन्य विकार (को॰) । प्यास । तृषा (को॰) ।

१६. अनुसरण ।

१७. करार । इकरारनामा ।

१८. पाणिनीय व्याकरण में धातु, प्रत्यत आदि लोप होनेवाला वह इत्संज्ञक सांकेतिक वर्ण जो गुण, वृद्धि प्रत्याहार आदि के लिये उपयोगी हो ।