प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अध्यारोप संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. एक के व्यापार का दूपरें में लगाना । अपवाद । दोष । अध्यास ।

२. झूठी कल्पना । वेदांत के अनुसार अन्य में अन्य वस्तु का आभाव या भ्रम; जैसे ब्रह्मा में जो सच्चिदानंद अनंत अद्बितिय है, अज्ञानादि सकल जड़ समूह का आरोपण ।

३. सांख्य के अनुसार एक के व्यापार को प्रन्य में लगाना । जैसे, प्रकृति ते व्यापार को ब्रह्मा में आरोपित कर उसकी जगत् का कर्ता मानना, या इंद्रियों की क्रियाओ को आत्मा में लगना ओर उसकी उनका कर्ता मानना ।