प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अधर ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. नीचे का ओठ ।

२. ओठ । यौ॰—बिबाझार । दयिताधर । मुहा॰—अधर चबाना=क्रोध के कारण दाँतों से ओठ बार बार दबाना । उ॰—तदपि क्रोध नहि रोक्यो जाई । भए अरुन चख अधरो चबाई ।—पन्नालाल (शब्द॰) ।

३. भग या योनि के दोनों पा्र्श्व ।

४. शरीर का निचला हिस्सा (को॰) ।

५. दक्षिण दिशा (को॰) ।

अधर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰अ=नहों+धृ=धरना]

१. बिना आधार का स्थान । अंतरिक्ष । आकाश । शुन्यस्थान । जैसे—वह अधर में लटका रहा । (शब्द॰) । मुहा॰—अधर में झुलला, अधर में पड़ना, अधर में लटकना=(१) अधुरा रहना । पूरा न होना । जैसे—यह काम अधर में पड़ा हुआ है (शब्द॰) । (२) पशेपेश में पड़ना । दुविधा में पड़ना ।

अधर ^३ वि॰

१. जो पकड़ में न आए । चंचल ।

२. नीच । बुरा । तुच्छ । उ॰—गुढ़ कपट प्रिय बवन सुनी तीय अधरबुधि रानी । सुरमाया वस बैरिनिहि सुह्वद जानि पतिआनि ।— मानस २ ।१६ ।

३. विवाद या मुकदमे में जो हार गया हो ।

४. नीचा । नीचे का ।