अथक वि॰ [सं॰ अ=नहीं+हिं॰ थकना] जो न थके । अश्रांत । उ॰—शासन कुमारिका से हिमालय श्रृंग तक अथक अबाध और तीव्र मेघ ज्योति सा चलता था ।—लहर, पृ॰ ७६ ।