अतिव्याप्ति
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अतिव्याप्ति संज्ञा॰ स्त्री॰ [सं॰] न्याय में एक लक्षण का एक दोष । किसी लक्षण या कथन के अंतर्गत लक्ष्य के अतिरिक्त अन्य वस्तु के आ जाने का दोष । विशेष—जहाँ लक्षण या लिंगी के सिवाय अन्य पदार्थों पर भी घट सके वहाँ 'अतिव्याप्ति' दोष होता है । जैसे—'चौपाए सब पिंडज है', इस कथन में मगर और घड़ि- याल आदि चार पैरवाले अंडज भी आ जाते है । अतः इसमें अतिव्याप्ति दोष है ।