प्रकाशितकोशों से अर्थ

शब्दसागर

अतिरात्र संज्ञा पुं॰ [सं॰]

१. ज्योतिष्टोम नामक यज्ञ का एक गोण अंग ।

२. वह मंत्र जो अतिरात्र यज्ञ के अंत में गाया जाय

३. चाक्षुष मनु के एक पुत्र का नाम ।

४. मध्य रात्रि ।