अटक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
अटक ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ अ=नहीं+टिक=चलना अथवा सं॰ आ+ टक=बंधनअथवा सं॰ हठ+क (प्रत्य॰), प्रा॰ *अटक] [क्रि॰ अटकना, वि॰ अटकाऊ]
१. रोक । रुकावट । अड़- चन । विघ्न । बाधा । उलझन । उ॰—करि हियाव, यह सौंज लादि कै, हरि कै, पुर लै जाहि । घाट बाट कहुँ अटक होइ नहिं सब कोउ देहि निबाहि ।—सूर॰ (शब्द॰) ।
२. संकोच । हिचक । उ॰—तुमको जो मुझसे कहने में कोई अटक न हो तो मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ ।—ठेठ॰ (शब्द॰) ।
३. सिंध नदी पर एक छोटा नगर जहाँ प्राचीन तक्षाशिला का होना अनुमान किया जाता है ।
५. अकाज । हर्ज । बड़ी आवश्यकता । क्रि॰ प॰—पड़ना । उ॰—ह्वाँ ऊधो काहे को आए कौन आए सी अटक परी ।—सूर (शब्द॰) ।
अटक ^२ वि॰ [सं॰ अट] घूमनेवाला । चंक्रमणशील [को॰] ।